हे राम! महाराष्ट्र के सरकारी स्कूलों में पढ़ाए जा रहे हैं बलात्कारी आसाराम, पता चलते ही शिक्षा विभाग में मचा हड़कंप, अभिभावकों ने काटा बवाल और की कार्रवाई की मांग
केडीके न्यूज़ नेटवर्क मुंबई। नांदेड़ जिला के भोकर तालुका के नागापुर, डोर, सयाल, रेनापुर, नंदा, सोनारी, हसापुर और रायखोद के कई जिला परिषद स्कूलों में बलात्कार के दोषी आसाराम के पाठ और मंत्र…
प्रसंग वश: तमस को समाप्त करना ही दीपावली है, इसलिए केवल माटी का दीयरा ही नहीं अपितु अंतर का दीवला प्रज्जवलित करने की जरूरत
सकल मानव जगत को दीपावली की शुभ/मंगल कामनाएं… केडीके न्यूज़ नेटवर्क कहा जाता है कि कृषि प्रधान भारत देश में आज से सहस्त्रों वर्ष पूर्व इस उत्सव का प्रचलन ऋतु…
गण यानी अष्ट वस्तुओं का समूह और गणपति अर्थात दिशाओं का स्वामी, सभी गणों के स्वामी होने के कारण कहलाए गणेश, देश हो या विदेश हर जगह मनता है गणेशोत्सव, अकेले जापान 250 गणेश मंदिर
मुनीर अहमद मोमिनभिवंडी। यूं तो गणेश पूजन की परंपरा अथवा आस्था का श्रोत बिंदु सनातन भारत ही है। लेकिन वर्तमान काल में इसकी धूम देश से लेकर विदेश तक है।…
कर्बला की जंग के बाद आज तक किसी मुसलमान ने यज़ीद नाम नहीं रखा, प्रधानमंत्री मोदी के मुताबिक़ “इमाम हुसैन अमन और इंसाफ के लिए शहीद हुए थे, उनकी ये सीख जितनी तब महत्वपूर्ण थी, उससे अधिक आज की दुनिया के लिए ये अहम है”
मुनीर अहमद मोमिन कर्बला की जंग का मुस्लिम मानस पर इतना गहरा असर पड़ा कि इस्लाम धर्म के अनुयायियों में कर्बला के बाद किसी ने अपने बच्चे का नाम आज…
इस्लामी विभेद को भी रेखांकित करती है कर्बला की जंग: कर्बला की जंग सीधे-सीधे धर्म और अधर्म के बीच नहीं बल्कि धर्म विरूद्ध धर्म के नकाब में छुपे अधर्म से थी, जो धर्म की आड़ में सारे कुकर्म करते थे
मुनीर अहमद मोमिन मंजऱ भी मुसलमां, पसे मंजऱ भी मुसलमां।गर्दन भी मुसलमां और ख़ंजर भी मुसलमां।। क्या ग़ुजऱेगी इस्लाम की, कश्ती पे ख़ुदारा। तूफां भी मुसलमान है, लंगर भी मुसलमांन।।…
हज़रत इमाम हुसैन का हिंदुस्तानी कनेक्शन: ईराक में आज भी है हिंदुस्तानियों का हिंदिया शहर, हुसैनी ब्राह्मणों का रहा है शानदार इतिहास, उस वक़्त की यज़ीदियत ही आज के आतंकवाद का पहला संस्करण था
मुनीर अहमद मोमिन भिवंडी। हज़रत इमाम हुसैन की बीवी हज़रत शहरबानो ईरानी थीं और वे ईरान के तत्कालीन सूसानी शासक जाजोजर्द की बेटी थीं। सूसानी तब अग्नि के उपासक थे।…
प्रजातंत्र के प्रबल पैरोकार थे इमाम हुसैन, यज़ीद के साथ उनकी जंग दरअसल विकार और सुसंस्कार, अन्याय और न्याय, भ्रष्टता और शिष्टता तथा शैतानियत और इंसानियत के बीच जंग थी
मुनीर अहमद मोमिन भिवंडी। मोहर्रम की दसवीं तारीख की इस्लामी कैलेंडर में बहुत अहमियत है। क्योंकि मोहर्रम की दसवीं तारीख से हजरत इमाम हुसैन की पवित्र शहादत संबद्ध है। हजरत…
सामाजिक समरसता के प्रतीक थे इमाम हुसैन, उनकी कुर्बानी अत्याचार और आतंक से लड़ने में प्रेरणादायक सहित सत्य और धर्म पर मर मिटने का नायाब उदाहरण
मुनीर अहमद मोमिन भिवंडी। हजरत इमाम हुसैन की कुर्बानी हमें अत्याचार और आतंक से लड़ने की प्रेरणा देती है। इतिहास गवाह है कि धर्म और अधर्म के बीच हुई जंग…