​दामाद को जमाई बना सकता है।  
बीवी को लुगाई बना सकता है।।
मीडिया में ताकत होती है इतनी।  
घुटने को कलाई बना सकता है।।

मेडिसिन को दवाई बना सकता है।  
इकाई को दहाई बना सकता है।। 
मीडिया में ताकत होती है इतनी। 
तवे को कढ़ाई बना सकता है।।

गजल को चौपाई बना सकता है।  
पल में मंहगाई बना सकता है।।
मीडिया में ताकत होती है इतनी। 
पर्वत को राई बना सकता है।।

फ्लूट को शहनाई बना सकता है। 
टेबल को तिपाई बना सकता है।। 
मीडिया में ताकत होती है इतनी। 
स्वागत को विदाई बना सकता है।। 

अच्छे में बुराई बना सकता है। 
बुरे में भलाई बना सकता है।।
मीडिया में ताकत होती है इतनी। 
झूठ को सच्चाई बना सकता है।।

अंधों में आई बना सकता है। 
वर्षा को ड्राई बना सकता है।
मीडिया में ताकत होती है इतनी। 
कवि को हलवाई बना सकता है।।

लोवर को हाई बना सकता है।
एक्स को वाई बना सकता है।। 
मीडिया में ताकत होती है इतनी। 
हानि को कमाई बना सकता है।।

भांग को ठंडाई बना सकता है।  
स्वीट को मिठाई बना सकता है।। 
मीडिया में ताकत होती है इतनी। 
जून को जुलाई बना सकता है।।

चाट से चटाई बना सकता है। 
खाट से खटाई बना सकता है।  
मीडिया में ताकत होती है इतनी। 
तुमको दंगाई बना सकता है।।

दुःख में चंगाई बना सकता है।  
जीवन वरदाई बना सकता है।  
मीडिया में ताकत होती है इतनी। 
दुश्मन को भाई बना सकता है।। 

डा. डंडा लखनवी से ‘साभार’​

Leave a Reply

Your email address will not be published.

You missed

error: Content is protected !!