मुनीर अहमद मोमिन
दिल्ली पुलिस ने कल 28 मई को 36 दिन बाद पहलवानों का धरना डंडे की जोर पर समाप्त करा दिया। नए संसद भवन के उद्घाटन के दिन कल रविवार को जंतर-मंतर से 109 सहित पूरी दिल्ली से करीब 800 समर्थकों को हिरासत में लेने के अलावा प्रदर्शन कर रहे बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक, विनेश फोगाट और संगीता फोगाट समेत आयोजकों और जंतर मंतर से हिरासत में लिए गए सभी 109 लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं 147, 149, 186, 188, 332, 353, पीडीपीपी अधिनियम की धारा 3 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। इन धाराओं में कुछ जमानती और कुछ गैर जमानती भी हैं। लेकिन इन धाराओं के तहत अधिकतम सात साल से कम सजा का प्रावधान है। इसलिए कानूनन पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार नहीं कर सकती है। पहलवानों को केस से जूझने में करीब दस साल लग सकते है। हिरासत में लिए गए पहलवान साक्षी मलिक, विनेश फोगाट और संगीता फोगाट सहित सभी महिला प्रदर्शनकारियों को रविवार देर शाम रिहा कर दिया गया। जनपथ से हिरासत में लिए गए नजफगढ़ के करीब 14 प्रदर्शनकारियों को रात करीब 10 बजे रिहा कर दिया गया और पालम खाप के अध्यक्ष सुरेंद्र सोलंकी सहित 16 प्रदर्शनकारियों को रात करीब साढ़े दस बजे वसंत विहार थाने से रिहा कर दिया गया। बता दें कि सर्व खाप महापंचायत और प्रदर्शनकारी पहलवानों ने रविवार को दिल्ली में नवनिर्मित संसद भवन के बाहर महिला पंचायत आयोजित करने का आह्वान किया था। ताकि उद्घाटन करने आने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ध्यान इन पीड़िता ओलंपियन पहलवानों की तरफ जाए।
इस मामले को लेकर विनेश फोगाट ने कहा है कि दिल्ली पुलिस को भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख रहे बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने में सात दिन लग गए थे, वह भी सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद। लेकिन उन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करने में सात घंटे भी नहीं लगे, जो ‘शांतिपूर्वक’ विरोध-प्रदर्शन कर रहे थे। घर वापस जाना कोई विकल्प नहीं है। बाकी पहलवानों से मिलकर हम तय करेंगे कि आगे क्या करना है। बता दें कि जंतर मंतर पर धरना दे रहे पहलवानों के साथ पहले धक्का मुक्की की गई, इसके बाद उनके साथ बल प्रयोग किया। इस दौरान पहलवान असहाय दिखे। रेसलिंग फेडरेशन के अध्यक्ष के खिलाफ गिरफ्तारी की मांग को लेकर पहलवान जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर रहे थे। भाजपा सांसद के खिलाफ पुलिस ने एफआईआर तो दर्ज कर ली है। लेकिन उनकी अभी तक गिरफ्तारी नहीं हुई है। पुलिस हिरासत से छोड़े जाने के बाद देर शाम साक्षी मलिक ने ट्विट कर कहा कि उनका आंदोलन अभी खत्म नहीं हुआ है। वे लोग दोबारा जंतर मंतर पर पहुंचकर सत्याग्रह जारी रखेंगे। उक्त ट्विट के बाद पुलिसकर्मियों ने जंतर-मंतर पर सुरक्षा बढ़ा दी है। वहां अभी लंबे समय तक पुलिसकर्मियों की तैनाती रहेगी।
उल्लेखनीय है कि नए संसद के उद्घाटन के दौरान जंतर-मंतर पर धरना दे रहे पहलवानों के समर्थन में होने वाली महिला खाप पंचायत को देखते हुए शनिवार रात से ही दिल्ली की सीमाओं पर पुलिस का कड़ा पहरा रहा। हरियाणा दिल्ली बॉर्डर और उत्तर प्रदेश-दिल्ली बॉर्डर पर भारी संख्या में पुलिस बल और अर्धसैनिक बल को तैनात किया गया था। साथ ही पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए सड़क पर बैरिकेडिंग, डंपर, बस, क्रेन और कंक्रीट से बने बड़े-बड़े पत्थरों को बीचो-बीच रखकर रास्ता को ब्लॉक कर दिया था। बॉर्डर पर आने वाले वाहनों को जांच करने के बाद ही उन्हें दिल्ली में प्रवेश की इजाजत दी जा रही थी। बाहरी दिल्ली के बॉर्डरों से सटे दिल्ली के जिलों से किसी को भी हिरासत में नहीं लिया गया है। वहीं गाजीपुर बॉर्डर पर जबरन प्रवेश करने की कोशिश करने वाले कुछ लोगों को हिरासत में लिया गया। हालांकि पहलवानों के समर्थन में जंतर मंतर पर आ रहे खाप समर्थकों को हरियाणा के कुछ बॉर्डरों पर पहले ही हिरासत में ले लिया गया था। डीसीपी प्रणव तायल का कहना है कि पहलवानों को अब किसी भी सूरत पर जंतर-मंतर पर धरने पर नहीं बैठने दिया जाएगा। अगर कोई दोबारा वहां आने की कोशिश करेगा तो उसे हिरासत में ले लिया जाएगा। बार-बार कानून हाथ में लेने पर उसके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया जा सकता है। दिल्ली के जिस जंतर-मंतर पर पिछले 36 दिनों से पूरे देश की नजरें टिकी थीं। वहां रविवार देर शाम सन्नाटा पसर गया था। शाम छह बजे के बाद पुलिस और सुरक्षा कर्मियों के अलावा यहां एक भी व्यक्ति नहीं दिख रहा था। चारो तरफ केवल बैरिकेडिंग ही नजर आ रही है। एक तरह से पूरे क्षेत्र को सील कर दिया गया है।