मुनीर अहमद मोमिन 

32 साल पुराने वाराणसी के बहुचर्चित अवधेश राय हत्याकांड में विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए कोर्ट) अवनीश गौतम की अदालत ने गैंगस्टर से राजनेता बने मुख्तार अंसारी को आज सोमवार को दफा 302 का दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाने सहित उन पर एक लाख 20 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है। जुर्माना अदा न करने पर उन्हें छह महीने की अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी। आज सोमवार को 12 बजे के करीब पहले तो कोर्ट ने अंसारी को दोषी करार दिया और फिर दोपहर 2 बजे जज अवनीश गौतम ने उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई। सजा सुनाते समय वह बांदा की जेल में बंद होने के कारण शारीरिक तौर पर अंसारी कोर्ट में मौजूद नहीं था और सुनवाई के दौरान वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये जुड़ा था। हालांकि कोर्ट ने 19 मई को बहस के बाद सुनवाई पूरी कर ली थी। लेकिन अपना आदेश 5 जून तक सुरक्षित रख लिया था। मुख्तार के वकील आदित्य रघुवंशी ने सजा के ऐलान के बाद कहा कि वह मामले में हाईकोर्ट जाएंगे और सजा के खिलाफ अपील करेंगे। बता दें कि वाराणसी के लहुराबीर क्षेत्र में 3 अगस्त 1991 को 30 साल से अधिक पुराने कांग्रेस नेता अजय राय और उनके भाई अपने घर के गेट पर खड़े थे। तभी अंसारी समेत वहां एक कार में आए हथियारबंद हमलावरों ने अंधाधुंध फायरिंग कर अवधेश राय को मौत के घाट उतार दिया था। हालांकि अजय राय ने जवाबी कार्रवाई में अपनी लाइसेंसी पिस्तौल से गोली चला दी थी। जिसके बाद हमलावर कार छोड़कर फरार हो गए थे। उसके बाद अवधेश को कबीर चौरा के एक अस्पताल ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था। 2005 से ही जेल में बंद अंसारी को बीते अप्रैल में भाजपा विधायक कृष्णानंद राय के अपहरण और हत्या से संबंधित मामले में भी दोषी ठहराया गया है। अंसारी पहले ही अपहरण और हत्या के एक अन्य मामले में 10 साल की सजा काट रहा है। जिसमें उसे अप्रैल में दोषी ठहराया गया था।

         विदित हो कि मुख्तार अंसारी ने जब वारदात को अंजाम दिया था, उस दौरान वह विधायक नहीं था और आज भी जब केस में फैसला आया है तब भी वह विधायक नहीं है। इस केस से जुड़ी एक बहुत दिलचस्प घटना ये रही कि केस की सुनवाई के दौरान जून 2022 में पता चला कि मामले की केस डायरी ही गायब हो गई है। वाराणसी से लेकर प्रयागराज तक के कोर्ट में डायरी की खोज की गई पर वह नहीं मिली। पूरे मामले की सुनवाई झेरॉक्स कॉपी के आधार पर की गई है। संभवतः यह पहला मामला होगा जब डुप्लीकेट कागजों के आधार पर फैसला सुनाया गया है। इसी 30 जून को को मुख्तार अंसारी 60 वर्ष का होने वाला है। उसका जन्म 30 जून 1963 को हुआ था। लेकिन 60वें जन्मदिन से 25 दिन पहले ही उसे आजीवन कारावास हो गया। क्योंकि पूर्व विधायक अजय राय हत्याकांड में मुख्तार अंसारी को मुख्य आरोपी बनाया गया था। साथ में भीम सिंह, कमलेश सिंह व पूर्व विधायक अब्दुल कलाम और राकेश का भी नाम लिखा गया था। इनमें से कमलेश व अब्दुल कलाम की मृत्यु हो चुकी है। जबकि राकेश न्यायिक का केस प्रयागराज कोर्ट में अभी चल रहा है। इससे पहले दिल्ली, लखनऊ और गाजीपुर की अदालतें भी मुख्तार अंसारी को सजा सुना चुकी हैं। अदालत में मुख्तार के अधिवक्ता आदित्य वर्मा ने कहा कि अभियुक्त बुजुर्ग और बीमार है। अभियुक्त को न्यूनतम दंड से दंडित किया जाए। वहीं, सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी विनय कुमार सिंह ने कहा कि अभियुक्त का लंबा आपराधिक इतिहास है। अवधेश राय की हत्या दिनदहाड़े किए जाने से साबित है और यह दुर्लभ से दुर्लभतम केस की श्रेणी में आता है। ऐसे में अभियुक्त को अधिकतम दंड से दंडित किया जाए।

          मालूम हो कि मऊ सदर सीट से पांच बार के विधायक मुख्तार अंसारी ने 2022 का उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ा और यह सीट उनके बेटे अब्बास अंसारी ने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के टिकट पर जीती। जिसने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया था।मुख्तार अंसारी का जन्म गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद में 3 जून 1963 को हुआ था। उनके पिता का नाम सुबहानुल्लाह अंसारी और मां का नाम बेगम राबिया था। गाजीपुर में मुख्तार अंसारी के परिवार की पहचान एक प्रतिष्ठित राजनीतिक खानदान की है। मुख़्तार अंसारी के दादा डॉक्टर मुख़्तार अहमद अंसारी मशहूर स्वतंत्रता सेनानी थे। ज्ञात हो कि गाजीपुर के मोहम्मदाबाद थाने के हिस्ट्रीशीटर मुख्तार के खिलाफ 61 मामले दर्ज हैं और 586 करोड़ की संपत्ति जब्त हो चुकी है और वे 2005 से जेल में हैं। जब उन्होंने मऊ में एक सांप्रदायिक दंगे, जिसमें सात लोगों की मौत हो गई थी, के केस में आत्मसमर्पण किया था। ​मुख्तार ने मऊ सदर सीट का पांच बार (दो बार बसपा उम्मीदवार और तीन बार निर्दलीय के रूप में) प्रतिनिधित्व किया है।​ ​बीते दिनों गाजीपुर की एक एमपी/एमएलए अदालत ने भी अंसारी और उनके बड़े भाई सांसद अफ़ज़ाल अंसारी को भाजपा विधायक कृष्णानंद राय के अपहरण और हत्या से संबंधित मामले में दोषी ठहराते हुए 10 साल कैद की सजा सुनाई थी। 

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